Monday, July 11, 2011

आदाब अर्ज: जो ख़ुद गुलशन है उसे क्या गुलाब भेजूं ।

 
 जिंदगी एक अभिलाषा है,
क्या अजीब इसकी परिभाषा है
जिंदगी क्या है मत पूछो ए दोस्तो,
संवर गई तो दुल्हन, बिखर गई तो तमाशा है।

शिवांगी सिंह, नई दिल्ली

आज सोचा सलाम भेजूं
आप मुस्कुराएं ऐसा पैग़ाम भेजूं।
कोई फूल तो मुझे मालूम नहीं
जो ख़ुद गुलशन है उसे क्या गुलाब भेजूं।

राहुल सिंगला, पटिलाया

तमन्नाओं में भी आपको याद करेंगे
आपकी हर बात पर ऐतबार करेंगे।
आपको फोन करने को तो नहीं कहेंगे
पर आपके फोन का इंतजार करेंगे।

सुरेश कुमार, जालंधर

दोस्त ने दोस्त को गुलाब भेजा है
तारों ने आसमान से पैगाम भेजा है
ए हवा जाकर कह दो भूल जाने वालों से
याद करने वालों ने सलाम भेजा है।

सोनू कुमारी सोनी, एसबीएस नगर

प्यार देने से प्यार मिलता है,
प्यार से ही करार मिलता है।
दोस्ती नाम है निभाने का,
बड़ी मुश्किल से यार मिलता है।

दलवीर सोलंकी, बरनाला

अरमान सारे जाग उठे ख्वाब-ए-नाज से
अब तो आकर मिलो हमसे, उसी अंदाज से।
इंतजार में हैं आज भी उदास सूनी गलियां
चले आना फिर कभी दिल की आवाज से।

अमरजीत शर्मा, बठिंडा

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