Monday, June 20, 2011

बड़े दिनों के बाद

बड़े दिनों के बाद आज
सूरज से पहले जगी,
बड़े दिनों के बाद सुबह की
ठंढी हवा मुझपर लगी।
बड़े दिनों के बाद पाया
मन पर कोई बोझ नहीं,
बड़े दिनों के बाद उठकर
सुबह नयी-नयी सी  लगी।
बड़े दिनों के बाद दिन के
शुरुआत की उमंग जगी,
बड़े दिनों के बाद मन में
पंख से हैं लगे कहीं।
बड़े दिनों के बाद आज
मन में एक कविता उठी,
बड़े दिनों के बाद आज,
कविता ब्लॉग पर लिखी।

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